आपको एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल तो याद ही होगी? यह वही लक्ष्मी है जिन्हें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा से साल 2014 में International Women of Courage Award मिला था. इसके साथ ही लक्ष्मी ने साल 2016 में लंदन फैशन वीक में हिस्सा लिया, कई टीवी और वेब शोज़ भी किए. इसी वजह इन्हें इंडिया की एकलौती पॉपुलर एसिड सर्वाइवर कहना गलत नहीं होगा. लेकिन अब यही लक्ष्मी अग्रवाल दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं. उनके पास ना तो जॉब है और ना ही अपनी बेटी को पालने के लिए पैसे. दिल्ली के लक्ष्मी नगर में किराए पर दो बेडरूम घर है, जिसका किराया भी अब उनके बूते से बाहर हो गया है. जी हां. यह लक्ष्मी अग्रवाल ही हैं जो कुछ दिनों पहले तक टीवी पर छाईं रहती थीं. लेकिन अब हालत यह है कि अब वो नौकरी की तलाश में घूम रही हैं. जिसके साथ वो लिव-इन में रहीं अब उन्होंने भी लक्ष्मी और उनकी बेटी का खर्च उठाने पर हाथ खड़े कर दिए हैं. लक्ष्मी के पार्टनर आलोक दीक्षित का कहना है कि वो अब लक्ष्मी और बेटी पीहू को पैसों की कोई भी मदद नही कर सकते. साल 2005 में एक पीछा कर रहे आदमी ने लक्ष्मी पर एसिड से हमला कर दिया था. जिससे उनका पूरा चेहरा जल गया. लक्ष्मी सिर्फ 10वीं पास हैं और ब्यूटी पार्लर का काम उन्हें आता है. लेकिन उनके चेहरे की वजह से उन्हें काम नहीं मिलता. लक्ष्मी का कहना है कि इंडिया में करीब 500 एसिड विक्टिम हैं, जिन्हें लोगों की दया तो मिल जाती है लेकिन पैसे नहीं. मुझे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बतौर क्षतिपूर्ति 3 लाख रुपए मिले थे, जो मेरी सर्जरी और प्रेग्नेंसी में खर्च हो गए. अब मुझे जॉब चाहिए ताकि मैं अपनी बेटी की परवरिश अच्छे से कर सकूं.श्री उमेशराज शेखावत का यह मानना है कि जो भी महिला एसिड अटैक से पीड़ीत है उन सभी की हमें साहयता करनी चाहिए और उनका होसला बढ़ाना चाहिए ताकि वो सभी भी अपना जीवन आसानी से जी सकें और सरकार को अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए।श्री उमेशराज शेखावत लक्ष्मी अग्रवाल कि इस हिम्मत को सलाम करते है।
नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के विरोध में 21 दिसंबर को जिस दिन राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार बंद करवाया था , उस दिन पटना के फुलवारीशरीफ़ में हिंसा हुई थी. दो गुटों के बीच जमकर पत्थरबाज़ी हुई. फ़ायरिंग की रिपोर्टें भी आयीं. क़रीब एक दर्जन लोग घायल हुए जिन्हें इलाज के लिए एम्स और पीएमसीएच में ले जाया गया था. आमिर रोज़ की तरह सुबह घर से तैयार होकर काम करने के लिए फ़ैक्ट्री गया था लेकिन उस दिन बिहार बंद की घोषणा थी और हर तरफ़ जुलूस निकाले जा रहे थे. फ़ैक्ट्री बंद थी. वह वापस लौट आया और उसी जुलूस में शामिल हो गया जिसमें मोहल्ले के लोग शामिल थे.""जुलूस के दौरान कि जो कुछ तस्वीरें और वीडियो मिलें हैं उसमें वह हाथ में तिरंगा थामे दिखता है. वो ही उसकी आख़िरी तस्वीर थी. उसके बाद मिली तो उसकी सड़ी हुई लाश, वो भी 11 दिनों के बाद."साहिल के घर में मातम पसरा है. उनका कमाने वाला भाई हिंसा की भेंट चढ़ गया. उस हिंसा की जिससे उसका दूर-दूर तक का वास्ता नहीं था.आमिर हंज़ला उसी हिंसा के बाद से लापता थे. परिजनों ने 22 दिसंबर को फुलवारीशरीफ़ थाने में आमिर की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी थी.
Comments
Post a Comment